उत्तराखंड के घने जंगलों के बीच बसा एक छोटा-सा गाँव था। इस गाँव के पास से एक शांत और सुंदर नदी बहती थी। यह नदी पहाड़ों और जंगलों से होते हुए दूर जाकर समुद्र में मिलती थी। लेकिन नदी का एक हिस्सा बहुत रहस्यमयी था। इस हिस्से में बड़े-बड़े पेड़ झुके हुए थे, और उनकी शाखाएँ नदी के ऊपर तक फैली हुई थीं। सूरज ढलने के बाद यहाँ अंधेरा छा जाता था, जिससे यह जगह और भी डरावनी लगती थी।
गाँव के बुजुर्गों का कहना था कि इस नदी के उस हिस्से में “आचरी” (परी) रहती है। लोग मानते थे कि यह आचरी बेहद खूबसूरत थी और अपनी सुंदरता से लोगों को आकर्षित कर नदी में खींच लेती थी। लेकिन गाँव के कुछ युवा इसे मात्र एक कहानी मानते थे। उनका मानना था कि यह सिर्फ बुजुर्गों का डर था, ताकि लोग खतरनाक जगहों पर न जाएं।
वीरल और सयाम की योजना
एक शाम, दो भाई, वीरल और सयाम, मछली पकड़ने के लिए नदी की ओर गए। सयाम समझदार और शांत स्वभाव का था, जबकि वीरल जिद्दी और थोड़ा निडर था। सयाम ने वीरल को पहले ही चेतावनी दी थी, “भाई, नदी के उस हिस्से में मत जाना। वहाँ जाना खतरनाक है।” लेकिन वीरल ने कहा, “भाई, अगर वहाँ ज्यादा मछलियाँ हैं, तो हमें कोशिश करनी चाहिए। डरने से कुछ नहीं होगा।”
जैसे-जैसे वे नदी के घने हिस्से के करीब पहुंचे, उन्हें मछलियाँ नदी में कूदती हुई दिखाई दीं। यह देखकर वीरल का लालच बढ़ गया। उसने तुरंत जाल फेंका और ढेर सारी मछलियाँ पकड़ लीं। दोनों भाई खुश थे कि आज उनका दिन अच्छा गया।

रहस्यमयी आवाज़
जब वे लौटने की तैयारी कर रहे थे, तभी उन्हें किसी के रोने की आवाज़ सुनाई दी। आवाज़ बहुत ही दर्दभरी थी, मानो कोई मदद के लिए पुकार रहा हो। वीरल ने तुरंत कहा, “यह आवाज़ किसी इंसान की है। हमें देखना चाहिए।” सयाम ने उसे रोका और कहा, “यहाँ रुकना ठीक नहीं है। यह वही जगह है जिसके बारे में गाँव वाले चेतावनी देते हैं।” लेकिन वीरल ने उसकी बात अनसुनी कर दी और आवाज़ की दिशा में बढ़ने लगा।
अजीब मंजर
जैसे ही दोनों आवाज़ के पास पहुँचे, उन्होंने देखा कि नदी के किनारे एक सुंदर लड़की खड़ी थी। वह जोर-जोर से रो रही थी। उसकी सुंदरता इतनी अद्भुत थी कि वीरल उसकी ओर खिंचता चला गया। सयाम को कुछ अजीब लगा। उसने वीरल को चेतावनी दी, “भाई, यह जगह अजीब है। हमें यहाँ से तुरंत लौट जाना चाहिए।” लेकिन वीरल ने उसकी बात नहीं मानी। वह लड़की की मदद करने के लिए आगे बढ़ा।
क्या वीरल ने सही किया? वह लड़की कौन थी? और उसकी सुंदरता के पीछे क्या रहस्य छिपा था?
अगला भाग: जलपरी का असली रूप और खतरनाक सच
जलपरी की कहानी – दूसरा भाग

जलपरी का असली रूप
वीरल उस रोती हुई लड़की के पास पहुंच गया। जैसे ही वह करीब गया, लड़की ने अपना सिर उठाया। उसकी आँखें गहरी और चमकदार थीं, मानो पूरी दुनिया की सुंदरता उनमें समा गई हो। वीरल उसके पास जाकर बोला, “तुम कौन हो? यहाँ इस हालत में क्यों हो? क्या तुम्हें मदद चाहिए?” लड़की ने कोई जवाब नहीं दिया, बस रोते हुए उसकी ओर इशारा किया कि वह उसके पास आए।
सयाम ने पीछे से चिल्लाकर कहा, “वीरल, रुक जाओ! मुझे यह सब कुछ सही नहीं लग रहा। वापस आ जाओ!” लेकिन वीरल पर जैसे कोई जादू सा हो गया था। वह लड़की के पास जाने लगा।
पानी में खिंचती जलपरी
जैसे ही वीरल ने लड़की की तरफ हाथ बढ़ाया, लड़की अचानक मुस्कुराई। उसकी मुस्कान एक पल के लिए स्वर्गीय लग रही थी, लेकिन अगले ही पल उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक आ गई। वीरल को कुछ समझ नहीं आया और वह उसके करीब जाने लगा। तभी लड़की ने उसका हाथ पकड़ा और अचानक उसे नदी के गहरे पानी में खींच लिया।
वीरल ने मदद के लिए चिल्लाना शुरू कर दिया। सयाम ने यह देखा तो तुरंत एक लकड़ी उठाकर नदी की तरफ दौड़ा। लेकिन नदी के पानी में अब कुछ भी साफ नहीं दिख रहा था। पानी के अंदर से बुलबुले उठ रहे थे, मानो कोई संघर्ष कर रहा हो। सयाम ने अपनी टॉर्च निकाली और उसकी रोशनी पानी के अंदर डाली।
जलपरी का असली रूप सामने आया
जैसे ही टॉर्च की रोशनी पानी के अंदर गई, लड़की का असली रूप सामने आ गया। वह अब कोई साधारण लड़की नहीं थी। उसकी चमड़ी मछली जैसी थी, आँखें लाल हो गई थीं, और उसके दांत तेज धारदार थे। वह जलपरी थी, जो अपनी सुंदरता से लोगों को फँसाकर पानी में खींच लेती थी।
सयाम ने समझदारी दिखाई और जोर से चिल्लाया, “वीरल, अपने होश में आओ! यह कोई इंसान नहीं है।” उसने तुरंत जलपरी की आँखों पर टॉर्च की तेज रोशनी मारी। जलपरी की आँखें अचानक झपकने लगीं और उसने अपनी पकड़ थोड़ी ढीली कर दी। वीरल ने यह मौका देखा और पानी की सतह की ओर तैरने की कोशिश की।
मौत के मुंह से बचाव
सयाम ने पानी में छलांग लगाई और वीरल को बाहर खींच लाया। वीरल बुरी तरह डरा हुआ था और उसका शरीर काँप रहा था। जलपरी ने पानी के अंदर से एक डरावनी चीख मारी, जिससे नदी का पानी लहराने लगा। लेकिन रोशनी के कारण वह सतह पर नहीं आ सकी।
वीरल और सयाम दोनों किसी तरह नदी के किनारे पहुँचे। वीरल ने कांपती आवाज में कहा, “भाई, वह कोई साधारण लड़की नहीं थी। उसने मुझे मार ही दिया था।” सयाम ने कहा, “यह वही जलपरी थी, जिसके बारे में गाँव के बुजुर्ग हमें चेतावनी देते थे। अब हमें यह बात सभी को बतानी होगी।”
गाँव का फैसला
दोनों भाई गाँव लौटे और उन्होंने पूरी घटना सभी को सुनाई। गाँव के लोग दहशत में आ गए। उन्होंने फैसला किया कि अब उस हिस्से की नदी को हमेशा के लिए बंद कर दिया जाएगा, ताकि कोई और इस जलपरी का शिकार न बने।
जलपरी ने वीरल और सयाम की जान तो बख्श दी, लेकिन उसने सभी के मन में एक सवाल छोड़ दिया – क्या वह केवल एक जलपरी थी या कोई और बड़ा रहस्य वहाँ छिपा हुआ था?