सल्ट मोलेखाल, उत्तराखंड – घूमने लायक एक शानदार जगह और इतिहास !

सल्ट मोलेखाल, उत्तराखंड – घूमने लायक एक शानदार जगह और इतिहास !

सल्ट-मोलेखाल-उत्तराखंड

अगर आपको पहाड़ों की ठंडी हवा, शांत माहौल और वीरता की कहानियां पसंद हैं, तो सल्ट-मोलेखाल एकदम परफेक्ट जगह है। ये अल्मोड़ा जिले का हिस्सा है और इसे “कुमाऊं की बारदोली” भी कहते हैं, जो खुद महात्मा गांधी ने नाम दिया था। यहां का हर कोना कुछ ना कुछ कहानी सुनाता है, चाहे वो पुरानी जंग हो, गांव के लोग हों या फिर कुदरती खूबसूरती।

इस ब्लॉग में आपको सल्ट मोलखाल की पूरी जानकारी मिलेगी – इसका इतिहास, घूमने लायक जगहें, कैसे पहुंचे और यहां का लोकल माहौल कैसा है।

सल्ट-मोलेखाल का इतिहास – वीरों की धरती

जगदाई कोलिन: सल्ट की शेरनी

अब सल्ट-मोलेखाल की बात हो और जगदाई कोलिन का जिक्र ना आए, ये तो मुमकिन ही नहीं। ये सल्ट की वो बहादुर महिला थीं, जो गोरखाओं से भिड़ गईं।

साल 1804 की बात है। नेपाल के राजा राणा बहादुर शाह ने गढ़वाल और कुमाऊं को अपने कब्जे में लेने के लिए अपनी गोरखा सेना भेजी। जैसे ही गोरखा सेना सल्ट में दाखिल हुई, जगदाई कोलिन ने पूरे इलाके में जोर-जोर से आवाज लगाई –
“गोरखा आ गए! गोरखा आ गए!”

उनकी इस चेतावनी से हजारों लोग वक्त रहते बच गए। लेकिन गोरखाओं ने उन्हें पकड़ लिया और बेइंतहा जुल्म किए। उनकी नाक, कान और स्तन काट दिए गए और फिर उन्हें एक झोपड़ी में जिंदा जला दिया गया। इतनी बर्बरता के बावजूद, वो अपने आखिरी वक्त तक लड़ती रहीं।

आज भी सल्ट-मोलेखाल के लोग उन्हें “गढ़वाल की रखवाली करने वाली” कहकर याद करते हैं।

सल्ट-मोलेखाल में क्या-क्या देख सकते हैं?

1. सल्ट की पहाड़ियां – हवा ही अलग है भाई!

यहां के पहाड़ सच में किसी सपने जैसे लगते हैं। चारों तरफ हरियाली, ठंडी हवा और शांति। अगर आप शहर की भागदौड़ से परेशान हो चुके हैं, तो बस एक बार यहां आकर देखो, सुकून मिल जाएगा।

2. खुमार गांव और शहीद स्मारक

ये गांव सिर्फ खूबसूरत नहीं, बल्कि वीरता की निशानी भी है। यहां एक शहीद स्मारक है, जो उन बहादुरों की याद में बनाया गया है, जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दी।

3. मोलखाल – ट्रैकिंग और एडवेंचर का मजा लो

अगर आपको ट्रैकिंग पसंद है, तो मोलखाल का इलाका आपके लिए एकदम सही रहेगा। यहां ऊंची-नीची पगडंडियों पर चलना और कुदरत को करीब से महसूस करना एक अलग ही एक्सपीरियंस देता है।

4. लोकल गांव और यहां के लोग

सल्ट मोलखाल के गांवों में एक अलग ही वाइब है। यहां के लोग सीधे-सादे और दिल के बहुत अच्छे होते हैं। लोकल खाने में मडुवा की रोटी, झोली-भात और लिंगुड़े की सब्जी मिलती है, जो खाने में जबरदस्त होती है।

सल्ट मोलखाल कैसे पहुंचे?

1. रामनगर से सल्ट-मोलेखाल

  • दूरी: 70 किमी
  • रूट: रामनगर → कालाढूंगी → भवाली → सल्ट-मोलेखाल
  • समय: करीब 3 घंटे

2. नैनीताल से सल्ट मोलखाल

  • दूरी: 60 किमी
  • रूट: नैनीताल → भवाली → सल्ट सल्ट-मोलेखाल
  • समय: 2.5 घंटे

3. जिम कॉर्बेट से सल्ट मोलखाल

  • दूरी: 85 किमी
  • रूट: जिम कॉर्बेट → कालाढूंगी → भवाली → सल्ट मोलखाल
  • समय: 3.5 घंटे

4. अल्मोड़ा से सल्ट मोलखाल

  • दूरी: 145 किमी
  • रूट: अल्मोड़ा → ताकुला → सल्ट मोलखाल
  • समय: 4घंटे

सल्ट-मोलेखाल क्यों जाएं? (सीधा जवाब)

इतिहास में दिलचस्पी है? तो जगदाई कोलिन की वीर गाथा सुनने यहां जरूर आइए।
शांति और नेचर चाहिए? यहां की हवा में ही सुकून है।
ट्रैकिंग और एडवेंचर पसंद है? मोलखाल का इलाका आपके लिए ही बना है।
लोकल कल्चर को समझना चाहते हैं? यहां के लोग और उनका रहन-सहन बहुत खास है।

निष्कर्ष – एक बार जरूर घूमकर आइए!

सल्ट-मोलेखाल सिर्फ एक जगह नहीं, बल्कि उत्तराखंड के इतिहास और वीरता का एक सुनहरा अध्याय है। यहां की प्राकृतिक खूबसूरती, गांवों की सादगी और बहादुरी की कहानियां इस जगह को खास बनाती हैं।

अगर आपको कुदरत के करीब रहना पसंद है, वीरों की कहानियां सुननी अच्छी लगती हैं और ट्रैकिंग का मजा लेना चाहते हैं, तो सल्ट-मोलेखाल आपकी ट्रैवल लिस्ट में जरूर होना चाहिए!

Deepak Sundriyal

मेरा नाम दीपक सुन्द्रियाल है। मैं अल्मोड़ा के एक छोटे से गाँव से आता हूँ। अपनी पढ़ाई मैंने अपने गाँव से ही पूरी की है। अब मैं दिल्ली की भीड़भाड़ में अपने सपनों को पूरा करने में लगा हूँ। लेकिन आज भी मेरी कहानियों में मेरा पहाड़, मेरी पहाड़ी ज़िंदगी और वहाँ की सादगी बसी हुई है। मैं आज भी हर दिन अपनी लिखी पंक्तियों के ज़रिए अपने गाँव को जीता हूँ।
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