सर कटा भूत: दो गाँवों में मची दहशत!-Bhootiya Kahani

सर कटा भूत: दो गाँवों में मची दहशत!-Bhootiya Kahani

Sar Kata Bhoot,

बहुत समय पहले की बात है। सिंहपुर और देवगढ़ नाम के दो गाँव पास-पास बसे थे। दोनों गाँवों में शांति थी, लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ जिसने सबको डरा दिया!

सिंहपुर के लोगों ने देखा कि बिना सिर का एक धड़ रात में घूमता रहता था। वह अंधेरे में गलियों में दौड़ता, किसी के दरवाजे खटखटाता और फिर गायब हो जाता। कई लोगों ने देखा कि वह खून से सना हुआ था और हवा में अपने हाथ घुमाता था, जैसे किसी को खोज रहा हो।

उधर, देवगढ़ के लोग और भी ज्यादा डरे हुए थे! उनके गाँव में एक कटे हुए सिर का साया मंडरा रहा था। वह सिर हवा में उड़ता था, अजीब-अजीब आवाजें निकालता और कभी-कभी किसी के कंधे पर आकर बैठ जाता! कई लोगों को उसके डर से तेज़ बुखार आ गया था।

दो गाँवों में मची दहशत!

दिन में सब ठीक रहता, लेकिन रात होते ही डरावने दृश्य शुरू हो जाते। सिंहपुर का धड़ गाँव में इधर-उधर भटकता और देवगढ़ का सिर हवा में उड़ता हुआ अजीब बातें करता।

एक बूढ़े आदमी ने बताया कि सौ साल पहले एक तांत्रिक के श्राप से एक आदमी का सिर और धड़ अलग हो गए थे! अब वह तब तक भटकता रहेगा, जब तक दोनों हिस्से फिर से एक नहीं हो जाते।

गाँववालों ने बनाई एक योजना!

अब सवाल था – कैसे जोड़ा जाए सिर और धड़?

दोनों गाँवों के लोग एक पुराने मंदिर में मिले और तय किया कि आधी रात को दोनों हिस्सों को एक जगह लाया जाए।

रात का खौफनाक मंजर!

आधी रात का समय… चारों तरफ सन्नाटा…

सिंहपुर से लोग बिना सिर का धड़ लेकर आए और देवगढ़ के लोग हवा में उड़ते सिर को मंत्रों से काबू में कर रहे थे।

जैसे ही सिर और धड़ एक-दूसरे के करीब आए, तेज़ आंधी चली, बिजली कड़की और भूत जोर-जोर से हँसने लगा!

“हा हा हा! तुम मुझे एक नहीं कर सकते!”

लेकिन गाँववालों ने हार नहीं मानी। उन्होंने एक तांत्रिक को बुलाया, जिसने गंगा जल और मंत्रों से सिर और धड़ को जोड़ने का प्रयास किया।

Sar Kata Bhoot,

भूत फिर से इंसान बना!

अचानक, ज़ोरदार चमक हुई और भूत का शरीर हिलने लगा!

धीरे-धीरे उसकी आँखें खुलीं… उसका चेहरा पहले डरावना था, लेकिन फिर धीरे-धीरे वह एक सामान्य इंसान बन गया।

उसने गाँववालों को धन्यवाद दिया और बताया, “मैं कभी एक राजा था, लेकिन एक श्राप के कारण मेरा सिर और धड़ अलग हो गए थे। आज तुमने मुझे मुक्ति दे दी!”

अब भी दिखता है भूत?sar-kata-bhoot-kahani-daravni

गाँव में अब शांति थी, लेकिन…

आज भी… अगर कोई सिंहपुर और देवगढ़ के जंगलों के बीच की सड़क पर रात में जाता है, तो उसे दूर से एक हवा में उड़ता हुआ सिर और एक भागता हुआ धड़ दिखता है…

शायद, वह भूत अब भी वहाँ कहीं है!

Deepak Sundriyal

मेरा नाम दीपक सुन्द्रियाल है। मैं अल्मोड़ा के एक छोटे से गाँव से आता हूँ। अपनी पढ़ाई मैंने अपने गाँव से ही पूरी की है। अब मैं दिल्ली की भीड़भाड़ में अपने सपनों को पूरा करने में लगा हूँ। लेकिन आज भी मेरी कहानियों में मेरा पहाड़, मेरी पहाड़ी ज़िंदगी और वहाँ की सादगी बसी हुई है। मैं आज भी हर दिन अपनी लिखी पंक्तियों के ज़रिए अपने गाँव को जीता हूँ।
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