बच्चों की नैतिक कहानी: जादुई ताबीज और लालच का अंजाम | Moral Hindi Kahan

बच्चों की नैतिक कहानी: जादुई ताबीज और लालच का अंजाम | Moral Hindi Kahan

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गांव का होशियार लेकिन लालची लड़का

एक छोटे से गांव में अर्जुन नाम का लड़का रहता था। वह बहुत चतुर था, लेकिन उसमें थोड़ा लालच भी था। उसे हमेशा लगता था कि अगर जादू से सबकुछ मिल जाए, तो मेहनत करने की जरूरत ही नहीं होगी।

जंगल में अनोखी चीज़

एक दिन, अर्जुन लकड़ियां इकट्ठा करने जंगल गया। वहां एक चमकती हुई चीज दिखी। जब उसने पास जाकर देखा, तो वह एक जादुई ताबीज था।

जैसे ही अर्जुन ने ताबीज को छुआ, एक गहरी आवाज़ आई,
“जिसके पास यह ताबीज होगा, उसकी हर इच्छा पूरी होगी, लेकिन लालच से बचना!”

अर्जुन खुश हो गया। उसने सोचा, “अब तो मेरी जिंदगी बदल जाएगी!”

जादू की शक्ति

पहले उसने थोड़ा सा सोना मांगा, और देखते ही देखते, उसके हाथ में सोने की थैली आ गई। फिर उसने महल, गहने और ढेर सारा खाना मांगा। अब वह गांव का सबसे अमीर लड़का बन गया।

लेकिन धीरे-धीरे, अर्जुन का लालच बढ़ने लगा। वह हर दिन नई-नई चीजें मांगने लगा।

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लालच का अंजाम

एक दिन, अर्जुन ने सोचा, “अगर मैं इस ताबीज से राजा बन जाऊं, तो सब लोग मेरी सेवा करेंगे!”

जैसे ही उसने यह इच्छा की, ताबीज तेज़ी से चमकने लगा और एक डरावनी आवाज़ गूंज उठी,
“लालच का कोई अंत नहीं, अब इसका अंजाम भुगत!”

अचानक, महल गायब हो गया, सोना मिट्टी में बदल गया और खाना भी हवा में उड़ गया। अर्जुन फिर से गरीब और अकेला रह गया।

सबक और बदलाव

अर्जुन डर गया और ताबीज को जल्दी से फेंक दिया। तभी आकाश से एक आवाज़ आई,
“सफलता मेहनत से मिलती है, जादू से नहीं!”

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अब अर्जुन को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने लालच छोड़ दिया और मेहनत करने लगा। धीरे-धीरे, उसकी कड़ी मेहनत रंग लाई और उसने अपनी जिंदगी को फिर से संवार लिया।

सीख:

  • हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए।
  • मेहनत ही असली जादू है।
  • जो बिना मेहनत के पाता है, वह जल्दी ही सब कुछ खो देता है।

Deepak Sundriyal

मेरा नाम दीपक सुन्द्रियाल है। मैं अल्मोड़ा के एक छोटे से गाँव से आता हूँ। अपनी पढ़ाई मैंने अपने गाँव से ही पूरी की है। अब मैं दिल्ली की भीड़भाड़ में अपने सपनों को पूरा करने में लगा हूँ। लेकिन आज भी मेरी कहानियों में मेरा पहाड़, मेरी पहाड़ी ज़िंदगी और वहाँ की सादगी बसी हुई है। मैं आज भी हर दिन अपनी लिखी पंक्तियों के ज़रिए अपने गाँव को जीता हूँ।
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