गांव के किनारे एक घना जंगल था। वहीं पास में रामू किसान अपनी छोटी सी झोपड़ी में रहता था। वह बहुत ही मेहनती और दयालु इंसान था। रामू के पास एक बैल था, जिसका नाम बेलू था। बेलू बहुत मेहनती था और हर दिन रामू के खेत जोतने में मदद करता था।
बेलू की मेहनत और रामू का प्यार
रामू और बेलू के बीच गहरा रिश्ता था। रामू उसे हमेशा अच्छा खाना खिलाता, उसकी देखभाल करता और प्यार से सहलाता। बेलू भी रामू के लिए बहुत वफादार था। चाहे गर्मी हो या ठंड, वह खेत में मेहनत से काम करता।
लालची साहूकार की योजना
गांव का साहूकार बहुत लालची था। उसने देखा कि बेलू बहुत ताकतवर और मेहनती है। उसने सोचा, “अगर यह बैल मेरे पास आ जाए, तो मैं इसका पूरा फायदा उठा सकता हूँ!” उसने रामू के पास जाकर कहा,
“रामू, अपना बैल मुझे बेच दो, मैं तुम्हें ढेर सारे पैसे दूंगा।”
रामू ने मना कर दिया, “बेलू मेरा साथी है, मैं उसे कभी नहीं बेचूंगा।”
साहूकार को यह बात अच्छी नहीं लगी। उसने एक चाल चली। एक रात उसने चोरी-छिपे बेलू को खोलकर जंगल में भगा दिया।

बेलू जंगल में खो गया
बेचारा बेलू जंगल में इधर-उधर भटकने लगा। उसे भूख और प्यास लगने लगी, लेकिन कोई मदद करने वाला नहीं था। जंगल के कुछ जंगली जानवरों ने उसे घेर लिया। बेलू डर गया, लेकिन तभी एक बूढ़े साधु ने आकर उन जानवरों को भगाया।
बेलू बहुत कमजोर हो गया था। उधर, रामू अपने दोस्त को खोकर बहुत दुखी था। वह पूरे गांव में उसे ढूंढता फिर रहा था।
दयालुता का इनाम
कुछ दिनों बाद, जब रामू जंगल की ओर गया, तो उसने बेलू को बहुत कमजोर हालत में देखा। उसे देखकर उसकी आँखों में आँसू आ गए। वह तुरंत दौड़कर बेलू के पास गया और उसे गले से लगा लिया।
रामू ने बेलू को वापस घर ले जाकर उसकी सेवा की। कुछ ही दिनों में बेलू फिर से पहले जैसा मजबूत और खुशहाल हो गया।
उधर, साहूकार को उसकी लालच की सजा मिली। उसकी फसलें सूख गईं और उसका व्यापार ठप हो गया।
कहानी से सीख:
हमें जानवरों के प्रति दया रखनी चाहिए, क्योंकि वे भी हमारी तरह महसूस कर सकते हैं।
लालच का परिणाम हमेशा बुरा होता है।
सच्ची दोस्ती और प्यार हर मुश्किल को हरा सकते हैं।
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