गाँव के किनारे एक पुराना, टूटा-फूटा हवेली जैसा घर था। वहाँ कोई नहीं जाता था, क्योंकि लोगों का मानना था कि वहाँ एक भूतिया दादी रहती है! बच्चे उस घर के पास से भी नहीं गुजरते थे, क्योंकि जिसने भी अंदर झाँका, वह डर के मारे उल्टे पाँव भाग गया।
भूतिया हवेली का रहस्य
एक दिन, गाँव के चार शरारती बच्चे—मुन्ना, छुटकी, बबलू और टिल्लू—ने तय किया कि वे इस भूतिया दादी की सच्चाई पता करेंगे।
मुन्ना बोला, “अरे, दादी है तो भूत भी दादी जैसी ही होगी, डरने की क्या बात?”
टिल्लू हँसकर बोला, “हाँ, और अगर ज़्यादा डराया तो हम उनको वॉशिंग मशीन में घुमा देंगे!”
बबलू ने धीरे से कहा, “अच्छा, फिर कौन पहले अंदर जाएगा?”
सब चुप हो गए!
आखिरकार, चारों हिम्मत जुटाकर रात को 12 बजे हवेली में घुसे। अंदर घुसते ही हवा “स्स्स्स्स्ह्ह्ह्ह्ह…” करने लगी, और दरवाज़ा “भड़ाम!” से बंद हो गया!
भूतिया दादी से पहली मुलाकात
जैसे ही उन्होंने टॉर्च जलाई, सामने एक झुकी हुई, सफेद बालों वाली, लाल आँखों वाली दादी दिखी, जो हवा में तैर रही थी!
छुटकी ने डरकर कहा, “द..द..दादी! आप सच में भूत हैं?”
दादी बोली, “हहहहहह! हाँ बेटा, मैं इस हवेली में फँस गई हूँ! कोई मेरे लिए पूजा ही नहीं करता!”
बबलू ने कहा, “अरे दादी, पूजा कर देंगे, बस हमें खाने के लिए कुछ दे दो!”
दादी हँसते हुए बोली, “अरे, भूत हूँ, भंडारा नहीं चला रही!”
दादी की मस्ती और बच्चों की तरकीब
धीरे-धीरे बच्चों को दादी से डर कम लगने लगा। वे रोज़ हवेली में आते और दादी से मज़ेदार बातें करते। दादी ने बताया कि उन्हें मोमो और समोसे बहुत पसंद थे, लेकिन भूत बनने के बाद वे सिर्फ़ हवा खा सकती थीं!
टिल्लू बोला, “अरे दादी, आपको खाना नहीं मिल रहा, इसलिए आप धरती पर भटक रही हैं! पूजा कर देंगे तो भगवान आपको अपने पास बुला लेंगे!”
दादी ने कहा, “ठीक है बच्चों, अगर तुम सच में मेरी आत्मा को शांति देना चाहते हो, तो मेरे लिए एक पूजा करवा दो!”

भूतिया दादी की विदाई
अगले दिन, चारों बच्चों ने गाँव के पंडित जी को बुलाया और हवेली में पूजा रखवाई। जैसे ही मंत्र पढ़े जाने लगे, दादी मुस्कुराने लगीं।
पूजा खत्म होते ही, दादी ने आशीर्वाद दिया, “बच्चों, अब मुझे मोक्ष मिल गया! अब मैं भगवान के पास जा रही हूँ… और हाँ, टिल्लू! बिना नहाए मत आया कर, बहुत गंदा लगता है!”
टिल्लू ने शर्म से सिर झुका लिया और बाकी बच्चे ज़ोर से हँस पड़े!
फिर दादी धीरे-धीरे आसमान में ऊपर उठ गईं और “धप्प!” एकदम गायब हो गईं!
कहानी से सीख:
हमें दूसरों की आत्मा को शांति देने के लिए अच्छे कर्म करने चाहिए।
भूतों से डरने की बजाय उनकी समस्या समझने की कोशिश करनी चाहिए।