बिड़ी मांगने वाले भूत की कहानी

बिड़ी मांगने वाले भूत की कहानी

bidi mangne vala bhut

उत्तराखंड के पहाड़ों में कई कहानियां और मान्यताएं प्रसिद्ध हैं, जिनमें से एक है बिड़ी मांगने वाले भूत की कहानी। यह कहानी एक फॉलोअर ने मुझे भेजी है, और मैं नाम और स्थान को गुप्त रख रहा हूँ।

यह घटना उत्तराखंड के उन पहाड़ी गाँवों की है, जहाँ शाम ढलते ही एक गहरी खामोशी पसर जाती है। ठंड का समय था, पहाड़ों की सर्द हवाएँ हर किसी को जल्दी घर लौटने पर मजबूर कर देती थीं। लेकिन दहनुर नाम का एक व्यक्ति उस रात अपने शहर के काम से लौटते हुए, काफी देरी से गाँव पहुँचा।

गाड़ी लेट हो जाने के कारण रात के करीब 10 बज चुके थे। गाँव का बाजार जो दिन में हलचल से भरा रहता था, अब पूरी तरह से वीरान था। दहनुर के पास केवल एक माचिस और चार बिड़ी बची थीं। उसने सोचा कि जलती लकड़ी का सहारा लेकर वह जंगल को पार कर सकता है। डर था जंगली जानवरों का, और कहीं मन में यह भी ख्याल था कि अगर किसी भूतिया किस्से से सामना हो गया तो क्या करेगा।

अचानक का सामना

लकड़ी जलाए हुए वह धीरे-धीरे गाँव के करीब पहुँच गया। ठंड से उसका शरीर कांप रहा था, लेकिन जैसे-तैसे उसने अपनी हिम्मत बनाए रखी। जब वह अपने गाँव के बाहर वाले रास्ते पर पहुँचा, तो उसने अपने पीछे किसी की मौजूदगी महसूस की। यह सोचकर कि यह उसका वहम होगा, उसने ध्यान नहीं दिया। लेकिन तभी किसी ने आवाज लगाई, “रुको!”

दहनुर ने डरते हुए पीछे मुड़कर देखा। वहाँ एक बूढ़ा आदमी खड़ा था। ठंड में लिपटा वह बूढ़ा दिखने में बिल्कुल साधारण था। दहनुर ने पूछा, “आप इतनी रात यहाँ क्या कर रहे हैं?”

बूढ़े ने जवाब दिया, “मैं पास के गाँव से लौट रहा हूँ, लेकिन रास्ता भटक गया हूँ।”

दहनुर को थोड़ा अजीब तो लगा, लेकिन उसने सोचा कि शायद वह सच कह रहा हो।

भूत का भेद खुलना

फिर बूढ़े ने उससे पूछा, “क्या तुम्हारे पास बिड़ी है?”

दहनुर ने बची हुई अपनी दो बिड़ियों में से एक बिड़ी उसे दे दी। बूढ़े ने बिड़ी को जलाया और कुछ देर धुआँ उड़ाने के बाद अचानक अपना असली चेहरा दिखा दिया। उसका चेहरा विकृत हो गया और आँखों में अजीब चमक थी। दहनुर समझ गया कि यह कोई साधारण आदमी नहीं बल्कि भूत है।

डर के मारे दहनुर वहीं खड़ा रह गया। भूत ने कहा, “डरो मत, तुम्हें तीन इच्छाएँ मांगने का मौका दूँगा। लेकिन ध्यान रहे, इनमें से कोई भी गलती तुम्हारे लिए खतरनाक हो सकती है।”

दहनुर ने डरते-डरते अपनी तीन इच्छाएँ मांगी:

“मुझे बिड़ी का पूरा डिब्बा चाहिए।”

“मुझे एक लालटेन चाहिए ताकि मैं अंधेरे में सुरक्षित रह सकूँ।”

“तुम यह वादा करो कि अब इस गाँव में किसी को परेशान नहीं करोगे।”

भूत ने उसकी तीनों इच्छाएँ पूरी कर दीं।”

गाँव की सच्चाई

दहनुर ने किसी तरह अपने घर पहुँचकर अपनी पत्नी को सारी बात बताई। उसकी पत्नी ने इसे ईश्वर की कृपा माना और तुरंत कुल देवताओं की पूजा की। यह घटना धीरे-धीरे पूरे गाँव में फैल गई। आज भी उत्तराखंड के कई गाँवों में यह भूत की कहानी सुनाई जाती है। लोगों का मानना है कि बिड़ी मांगने वाला यह भूत आज भी अलग-अलग गाँवों में घूमता है और किसी की मदद से संतुष्ट होकर अपनी राह पकड़ लेता है।

इस कहानी का हर पहलू पहाड़ी जीवन की सच्चाई और रहस्य को दर्शाता है। इसे पढ़ते हुए शायद आप भी सोच में पड़ जाएँ कि कहीं यह भूत आपके आसपास भी तो

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