सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार!
आज मैं आपके बीच एक ऐसी कहानी लेकर आया हूँ जिसे सुनकर आपको अदृश्य शक्तियों पर विश्वास हो जाएगा। यह कहानी एक गाँव की है और पूरी तरह से वास्तविक घटना पर आधारित है।
बहुत साल पहले की बात है, जब लोग अपने-अपने कामों में व्यस्त रहते थे। उस समय गाँव के लोग खेती-बाड़ी करते थे और ज़रूरी सामान खरीदने के लिए दूर बाज़ारों तक पैदल जाया करते थे। उस ज़माने में विज्ञान भी इतना विकसित नहीं था, रात को बिजली नहीं होती थी और न ही मोबाइल फोन जैसे साधन थे। फिर भी गाँव के लोग खुशहाल जीवन व्यतीत करते थे।
गाँव के नीचे एक नदी बहती थी, जहाँ गाँव के लोगों ने पानी से चलने वाली एक चक्की बनाई थी। आपने बिजली से चलने वाली चक्की तो देखी होगी, लेकिन पानी से चलने वाली चक्की शायद ही देखी होगी। खैर, इस चक्की को गाँव के कुछ लोग मिलकर चलाते थे। लोग अपना अनाज पीसवाने के लिए यहाँ आते और इसके बदले में चक्की मालिक को कुछ अनाज दे देते थे।
लेकिन इस चक्की के मालिक बहुत परेशान रहते थे, क्योंकि रोज़ाना उसे ठीक करना पड़ता था। कभी कोई दीवार गिर जाती, तो कभी कोई हिस्सा टूट जाता। जितना वे कमाते थे, उससे ज़्यादा मेहनत उन्हें चक्की पर करनी पड़ती थी। आखिरकार उन्होंने फैसला किया कि अब इस चक्की को बंद कर दिया जाए, क्योंकि इसमें कोई फायदा नहीं था।
इसी बीच, एक दिन गाँव में एक तांत्रिक बाबा आए। जब उन्होंने इस चक्की की समस्या के बारे में सुना, तो उन्होंने कहा कि इसका एक ही उपाय है – “यहाँ किसी इंसान की बलि दी जाए, तभी सब कुछ ठीक हो सकता है।”

यह सुनकर गाँव वाले डर गए और बोले, “आप कैसी बातें कर रहे हैं? हम किसी इंसान को कैसे मार सकते हैं?”
तब तांत्रिक बोला, “मैंने यह नहीं कहा कि जवान व्यक्ति चाहिए, कोई बूढ़ा व्यक्ति जो जल्द ही मरने वाला हो, वही बलि के लिए उपयुक्त होगा।”
रात को जब चक्की मालिक का परिवार घर पहुँचा और खाना खाकर सोने की तैयारी कर रहा था, तो उन्होंने सोचा कि गाँव में एक बूढ़ी महिला है, जिसके कोई संतान भी नहीं है। क्यों न उसी के जीवन का उपयोग इस काम में किया जाए? वैसे भी वह बहुत बूढ़ी है और मुश्किल से दस दिन ही जीवित रह पाएगी।

उन्होंने तांत्रिक से इस बारे में पूछा और रात के समय उस बूढ़ी महिला को पकड़कर उसकी बलि दे दी। बलि देने के बाद, उन्होंने उसकी लाश को पास के जंगल में दफना दिया।
इसके बाद सब कुछ सही चलने लगा। अब कोई दीवार नहीं गिरती थी और उन्हें ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती थी। गाँव के लोग खुश थे कि अब उनकी समस्या समाप्त हो गई है।
लेकिन फिर एक दिन, रात के समय जंगल से डरावनी चीखें सुनाई देने लगीं। यह सिर्फ एक दिन की बात नहीं थी, बल्कि हर रात ऐसी आवाज़ें आने लगीं। गाँव के लोग डर के मारे जल्दी-जल्दी अपने खेतों से घर आ जाते और दरवाज़े बंद कर लेते। अब पानी की चक्की की दीवार भी रोज़ टूटने लगी।
इससे परिवार समझ गया कि उस बूढ़ी महिला की आत्मा भटक रही है।
एक दिन, जब परिवार का एक सदस्य पानी चक्की की टूटी हुई दीवार को ठीक कर रहा था, तभी अचानक एक भारी पत्थर उसके ऊपर आ गिरा और उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
अब पूरा परिवार डरने लगा और उन्होंने चक्की को छोड़ दिया। रात में रोज़ भयानक गरजने की आवाज़ें आने लगीं, जिससे गाँव के लोग और भी डरने लगे।
तब तांत्रिक ने बताया कि “बूढ़ी महिला की आत्मा वापस लौट आई है। अब तुम्हें उसके परिवार से माफी माँगनी होगी और उसकी लाश को निकालकर पूरे विधि-विधान से अंतिम संस्कार करना होगा, तभी आत्मा को शांति मिलेगी।”
लेकिन जब अगले दिन परिवार के लोग तांत्रिक के पास पहुँचे, तो उन्हें पता चला कि तांत्रिक की मौत हो चुकी है और उसकी लाश पानी चक्की के पास पड़ी थी।
परिवार के लोग डर गए, लेकिन हिम्मत जुटाकर वे उस बूढ़ी महिला के परिवार के पास गए और उनसे अपनी गलती की माफी माँगी। जब बूढ़ी महिला के परिवार ने उनकी दयनीय स्थिति देखी, तो वे इस प्रक्रिया के लिए तैयार हो गए।
इसके बाद, उन्होंने जंगल से उस महिला की लाश निकाली और पूरे विधि-विधान से उसका अंतिम संस्कार किया। पूजा-पाठ और शांति यज्ञ के बाद, बूढ़ी महिला की आत्मा को शांति मिल गई।
इसके बाद वहाँ से डरावनी आवाज़ें आना बंद हो गईं।
अब परिवार ने गाँव छोड़ दिया और शहर की ओर चला गया।
आज भी वह पानी चक्की उसी परिवार के नाम से जानी जाती है, लेकिन कोई भी वहाँ जाने की हिम्मत नहीं करता।
क्या यह आत्मा सच में वापस आई थी या यह सिर्फ एक मनगढ़ंत कहानी थी? यह आज भी एक रहस्य बना हुआ है…