हवा महल में रहना – जब राजू बना ‘हवा का राजा’| Moral Story For Kids

हवा महल में रहना – जब राजू बना ‘हवा का राजा’| Moral Story For Kids

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राजू नाम का एक लड़का था, जो आलस का पक्का दोस्त था। उसे मेहनत करना बिल्कुल पसंद नहीं था। अगर उसे कोई कहता, “राजू, पानी भर ला!”, तो वह जवाब देता, “अरे, बारिश का इंतजार कर लो!” अगर कोई कहता, “राजू, पढ़ाई कर लो!”, तो वह बोलता, “अरे, किताबें थोड़ी भाग रही हैं!”

जादुई बाबा और उसकी सीटी

एक दिन, जंगल में टहलते हुए राजू की मुलाकात एक बूढ़े बाबा से हुई। बाबा ने उसे एक जादुई सीटी दी और कहा,
“इसे बजाते ही तुम्हारा सपनों का महल बन जाएगा, लेकिन एक शर्त है – अगर तुम आलस करोगे, तो महल उड़ जाएगा!”

राजू खुशी से कूद पड़ा! उसने तुरंत सीटी बजाई और धड़ाम! एक विशाल हवा महल उसके सामने खड़ा हो गया। महल इतना हल्का था कि लगता था बादलों पर तैर रहा है।

राजू बना ‘हवा का राजा’

अब राजू के मजे ही मजे थे! न पढ़ाई, न काम, बस आराम! वह महल के अंदर तकिए लगाकर लेटा रहता और कहता, “वाह! जिंदगी हो तो ऐसी!”

लेकिन फिर समस्या आई। राजू को भूख लगी!
उसने सोचा, “चलो, किचन में कुछ खा लूं!”
जैसे ही उसने उठने की कोशिश की, धड़ाम! महल थोड़ा हिल गया।

उसने सोचा, “अरे, मैं थोड़ा और आराम कर लेता हूँ!”
धड़ाम! महल थोड़ा और हिल गया।

अब तो राजू डर गया! लेकिन आलसी जो ठहरा, फिर भी कुछ नहीं किया।

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हवा महल ने दी सजा!

अगली सुबह, जैसे ही राजू ने करवट बदली, महल ने खुद ही सीटी बजा दी! और फिर…

“शूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ…”

पूरा हवा महल उड़ गया और राजू धड़ाम! सीधा कीचड़ में जा गिरा! पूरा गांव उसे देखकर हंसने लगा।

बाबा की सीख और मेहनत का असली जादू

राजू दौड़कर बाबा के पास गया और बोला, “बाबा जी, मेरा महल वापस दो!”

बाबा हंसकर बोले, “बेटा, मेहनत से बना महल कभी नहीं उड़ता। आलसी लोग सपनों के महल बनाते हैं, और मेहनती लोग असली महल!”

अब राजू को समझ आ गया कि मेहनत ही असली जादू है! उसने पढ़ाई शुरू की, घर के कामों में मदद करने लगा और धीरे-धीरे उसने अपने मेहनत के पैसों से अपना असली घर बनाया!

कहानी से सीख:

मेहनत से बना महल कभी नहीं उड़ता।
आलसी लोग सिर्फ सपने देखते हैं, जबकि मेहनती लोग उन्हें सच कर देते हैं।
बिना मेहनत के कुछ भी टिकता नहीं, बस उड़ जाता है – ‘हवा महल’ की तरह!

Deepak Sundriyal

मेरा नाम दीपक सुन्द्रियाल है। मैं अल्मोड़ा के एक छोटे से गाँव से आता हूँ। अपनी पढ़ाई मैंने अपने गाँव से ही पूरी की है। अब मैं दिल्ली की भीड़भाड़ में अपने सपनों को पूरा करने में लगा हूँ। लेकिन आज भी मेरी कहानियों में मेरा पहाड़, मेरी पहाड़ी ज़िंदगी और वहाँ की सादगी बसी हुई है। मैं आज भी हर दिन अपनी लिखी पंक्तियों के ज़रिए अपने गाँव को जीता हूँ।
  • Post category:Baccho Ki Kahaniya
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