जादुई घंटी और सच्चाई की ताकत हिंदी कहानी-Hindi Moral Story

जादुई घंटी और सच्चाई की ताकत हिंदी कहानी-Hindi Moral Story

जादुई घंटी
जादुई घंटी

छोटे से गांव में एक लड़का रहता था, जिसका नाम अमन था। वह बहुत समझदार था, लेकिन कभी-कभी झूठ बोलने की आदत बना लेता। उसे लगता कि झूठ बोलने से मुश्किलें कम हो जाती हैं। उसके माता-पिता ने कई बार समझाया, मगर अमन अपनी चालाकी से बाज नहीं आता था।

गांव का रहस्यमयी मंदिर

गांव के बाहर एक पुराना मंदिर था, जहाँ एक विशाल जादुई घंटी लगी थी। कहते थे कि जो भी इस घंटी को बजाएगा और झूठ बोलेगा, वह पकड़ लिया जाएगा। अमन को इस कहानी पर यकीन नहीं था। वह सोचता कि यह सिर्फ बच्चों को डराने के लिए बनाई गई बात है।

एक दिन, अमन और उसका दोस्त रोहन खेल रहे थे। खेलते-खेलते रोहन की लकड़ी की गाड़ी गुम हो गई। वह बहुत परेशान हुआ और पूछने लगा, “क्या तुमने मेरी गाड़ी देखी?” अमन को गाड़ी मिल गई थी, लेकिन उसने झूठ बोल दिया कि उसे कुछ नहीं पता।

रोहन बहुत दुखी हो गया। तभी गांव के बुजुर्ग आए और बोले, “अगर किसी को शक है, तो उसे मंदिर की जादुई घंटी के सामने सच बोलना होगा!”

जादुई घंटी

घंटी का जादू

अमन डर गया, लेकिन उसने सोचा, “घंटी कैसे पता लगा सकती है कि मैंने झूठ बोला?” वह हिम्मत करके मंदिर पहुँचा। जैसे ही उसने घंटी बजाई, वह तेज़ आवाज़ में गूंजने लगी। पूरा गांव मंदिर की ओर दौड़ा।

तभी घंटी से एक गहरी आवाज़ आई, “जो सच्चा है, वह निर्भय रहेगा। जो झूठा है, वह सत्य स्वीकार करेगा।”

अमन कांपने लगा। उसे महसूस हुआ कि उसकी गलती सामने आ गई। वह जान गया कि अब झूठ छिपाना मुमकिन नहीं।

सच्चाई की ताकत

डर के मारे अमन गांव के सामने सच बोल पड़ा। उसने स्वीकार किया कि उसने गाड़ी छुपाई थी। रोहन ने मुस्कुराते हुए माफ कर दिया। बुजुर्ग ने अमन को प्यार से समझाया, “बेटा, झूठ छोटा हो या बड़ा, वह हमेशा सच के सामने हार जाता है।”

अमन को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने वादा किया कि आगे से कभी झूठ नहीं बोलेगा।

कहानी से सीख

हमें कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए।
सच्चाई की ताकत सबसे बड़ी होती है।
झूठ बोलने से मुश्किलें और बढ़ जाती हैं।

अब अमन हमेशा सच्चाई का साथ देता। उसके इस बदलाव से पूरा गांव खुश हो गया। और मंदिर की जादुई घंटी? वह फिर कभी नहीं बजी, क्योंकि गांव में अब कोई झूठ नहीं बोलता था!

Deepak Sundriyal

मेरा नाम दीपक सुन्द्रियाल है। मैं अल्मोड़ा के एक छोटे से गाँव से आता हूँ। अपनी पढ़ाई मैंने अपने गाँव से ही पूरी की है। अब मैं दिल्ली की भीड़भाड़ में अपने सपनों को पूरा करने में लगा हूँ। लेकिन आज भी मेरी कहानियों में मेरा पहाड़, मेरी पहाड़ी ज़िंदगी और वहाँ की सादगी बसी हुई है। मैं आज भी हर दिन अपनी लिखी पंक्तियों के ज़रिए अपने गाँव को जीता हूँ।
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