जागेश्वर धाम – उत्तराखंड का प्राचीन शिव मंदिर समूह-Jageshwar dham

जागेश्वर धाम – उत्तराखंड का प्राचीन शिव मंदिर समूह-Jageshwar dham

Jageshwar Dham Uttarakhand

परिचय

उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित जागेश्वर धाम हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यह स्थान भगवान शिव को समर्पित 125 से अधिक मंदिरों का एक समूह है। यहाँ स्थित जागेश्वर महादेव मंदिर और मृत्युंजय मंदिर विशेष रूप से पूजनीय हैं।

इस मंदिर समूह का निर्माण 7वीं से 14वीं शताब्दी के बीच माना जाता है। यह स्थल देवदार के घने जंगलों और जातागंगा नदी के किनारे स्थित है, जो इसकी सुंदरता को और बढ़ाता है।

जागेश्वर धाम का धार्मिक महत्व

जागेश्वर धाम को नागेश ज्योतिर्लिंग का संभावित स्थान माना जाता है। यह स्थान शैव परंपरा के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है। इसे उत्तराखंड की काशी भी कहा जाता है।

यहां श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) में विशेष शिव पूजा और जागेश्वर महोत्सव का आयोजन होता है। इसके अलावा, महाशिवरात्रि पर भी यहाँ हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

जागेश्वर धाम का ऐतिहासिक महत्व

पुरातात्विक साक्ष्यों के अनुसार, इस मंदिर समूह का निर्माण 7वीं शताब्दी में प्रारंभ हुआ था। कत्युरी राजाओं ने इस क्षेत्र में कई मंदिरों का निर्माण कराया। बाद में चंद वंश के शासकों ने भी इन मंदिरों का पुनर्निर्माण कराया।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अनुसार, यहाँ पाई गई प्राचीन मूर्तियाँ और शिलालेख इस स्थान के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते हैं।

जागेश्वर मंदिर समूह के प्रमुख मंदिर

यहाँ कुल 125 मंदिर स्थित हैं। इनमें से कुछ प्रमुख मंदिर इस प्रकार हैं:

1. जागेश्वर महादेव मंदिर

यह जागेश्वर धाम का मुख्य मंदिर है। यह भगवान महादेव को समर्पित है और यहाँ विशाल शिवलिंग स्थापित है।

2. मृत्युंजय मंदिर

यह मंदिर भगवान महामृत्युंजय शिव को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में पूजा करने से व्यक्ति को दीर्घायु और रोगों से मुक्ति मिलती है।

3. डंडेश्वर मंदिर

यह जागेश्वर धाम का सबसे बड़ा मंदिर है। इसकी स्थापत्य कला देखने लायक है।

4. चंडी का मंदिर

यह मंदिर देवी चंडी को समर्पित है। यह मंदिर शक्ति साधना के लिए प्रसिद्ध है।

5. कुबेर मंदिर

यहाँ भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। यह मंदिर संपन्नता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

6. नवग्रह मंदिर

यह मंदिर नौ ग्रहों को समर्पित है। यहाँ नवग्रहों की विशेष पूजा होती है।

7. सूर्य मंदिर

भगवान सूर्य नारायण को समर्पित यह मंदिर ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है।

जागेश्वर धाम की वास्तुकला

यहाँ के मंदिर उत्तर भारतीय नागरा शैली में बने हैं। मंदिरों में शिल्पकला और पत्थर की नक्काशी विशेष रूप से देखने लायक है।

अधिकतर मंदिरों में शिवलिंग स्थापित हैं।

कई मंदिरों में पत्थरों पर शिव, विष्णु और देवी-देवताओं की सुंदर मूर्तियाँ बनी हैं।

कुछ मंदिरों में शिलालेख भी मिले हैं, जो उनके निर्माणकाल की जानकारी देते हैं।

जागेश्वर की प्राकृतिक सुंदरता

जागेश्वर मंदिर समूह देवदार के घने जंगलों के बीच स्थित है। यहाँ बहने वाली जातागंगा नदी इसकी सुंदरता में चार चाँद लगाती है।

यह स्थान अपनी शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए जाना जाता है। यहाँ आकर मन को विशेष शांति मिलती है।

जागेश्वर जाने का सही समय

जागेश्वर धाम पूरे वर्ष दर्शनीय है, लेकिन यहाँ जाने का सबसे अच्छा समय इस प्रकार है:

  • गर्मियाँ (अप्रैल-जून): मौसम सुहावना रहता है।
  • बरसात (जुलाई-सितंबर): यहाँ हरियाली और प्राकृतिक सौंदर्य देखने को मिलता है।
  • सर्दियाँ (अक्टूबर-फरवरी): ठंड अधिक होती है, लेकिन बर्फबारी का आनंद लिया जा सकता है।

कैसे पहुँचे?

1. सड़क मार्ग

अल्मोड़ा से दूरी: 36 किमी

हल्द्वानी से दूरी: 131 किमी

दिल्ली से दूरी: 400 किमी

2. रेल मार्ग

निकटतम रेलवे स्टेशन: काठगोदाम (125 किमी)

3. हवाई मार्ग

निकटतम हवाई अड्डा: पंतनगर (150 किमी)

जागेश्वर में प्रमुख उत्सव और मेले

1. जागेश्वर मानसून महोत्सव

श्रावण मास में आयोजित इस महोत्सव में हजारों भक्त आते हैं।

2. महाशिवरात्रि मेला

यहाँ महाशिवरात्रि पर विशेष पूजा होती है।

जागेश्वर यात्रा के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

  • मंदिर परिसर में शांति बनाए रखें।
  • देवदार के जंगलों में ट्रेकिंग करते समय सावधानी बरतें।
  • मंदिर में कैमरा ले जाने से पहले अनुमति लें।

निष्कर्ष

जागेश्वर धाम न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहर भी है। यहाँ की आध्यात्मिक शांति, सुंदरता और वास्तुकला हर भक्त और पर्यटक को मंत्रमुग्ध कर देती है।

अगर आप प्रकृति और अध्यात्म से जुड़ना चाहते हैं, तो जागेश्वर धाम की यात्रा आपके लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होगी।

Deepak Sundriyal

अपण पहाड़, अपण गाथा