एक छोटे से गाँव में अर्जुन और राजू नाम के दो दोस्त रहते थे। अर्जुन हमेशा सोचता था कि “नाम कमाना ही सबसे बड़ी बात है!” वहीं, राजू मानता था कि “सच्चा इंसान वही होता है जो अच्छे कर्म करता है!”
अर्जुन को सिर्फ दिखावा पसंद था। स्कूल में भी वह सिर्फ उन कामों में हाथ लगाता, जिनसे उसकी तारीफ हो। दूसरी ओर, राजू बिना किसी स्वार्थ के हर किसी की मदद करता।
गाँव का मेला और मजेदार ऐलान
एक दिन गाँव में बड़ा मेला लगा। वहाँ राजा खुद आए और उन्होंने घोषणा की,
“जो सबसे अनोखा और अच्छा काम करेगा, उसे इनाम मिलेगा!”
अर्जुन और राजू दोनों ही बहुत खुश हो गए। अर्जुन ने सोचा, “अब तो मैं कुछ ऐसा करूंगा कि मेरा नाम गाँव भर में गूंजेगा!”
राजू ने मुस्कुरा कर कहा, “चलो, देखते हैं, क्या करना चाहिए!”
जादुई मदारी और अर्जुन की अकलमंदी!
मेले में एक जादुई मदारी आया था, जिसके पास बोलने वाला तोता था।
मदारी ने कहा, “यह तोता तुम्हारे सवालों का जवाब देगा, लेकिन सच ही बोलेगा!”
अर्जुन ने सोचा, “चलो, इसका मजाक बनाते हैं!”
उसने पूछा, “तोते महाराज, क्या मैं सबसे समझदार हूँ?”
तोते ने ज़ोर से कहा, “अगर मूर्खता का कोई राजा होता, तो वो आप ही होते!”
पूरा मेला ठहाकों से गूंज उठा। अर्जुन का चेहरा लाल हो गया।

राजू की अच्छाई और अर्जुन का फंसना!
इसी बीच, एक बैलगाड़ी का पहिया टूट गया और उसमें बैठे लोग डर गए।
अर्जुन ने सोचा, “अगर मैं इसे ठीक करने जाऊं, तो कोई तालियाँ नहीं बजाएगा, कोई नाम नहीं लेगा। रहने दो!”
लेकिन राजू बिना सोचे-समझे मदद के लिए दौड़ पड़ा। उसने पास के लोगों को बुलाया और गाड़ी को सीधा किया।
राजा ने यह देखा और ज़ोर से बोले, “आज का सबसे अच्छा काम करने वाला यही लड़का है!”
अर्जुन की आखिरी चाल – फिर से मजाक!
अर्जुन से रहा नहीं गया। उसने फिर से तोते से पूछा, “तोते महाराज, अब बताओ, मैं सबसे अच्छा इंसान हूँ ना?”
तोते ने तुरंत जवाब दिया, “हां हां! बिलकुल वैसे ही जैसे ऊंट सबसे लंबा कुत्ता होता है!”
फिर से पूरा मेला हँसी से गूंज उठा।
कहानी से सीख:
सिर्फ नाम कमाने के लिए काम नहीं करना चाहिए, असली पहचान अच्छे कर्मों से बनती है।
जो बिना स्वार्थ के दूसरों की मदद करता है, वही सच्चा नायक होता है।
अच्छे काम करने से ही लोग याद रखते हैं, न कि दिखावा करने से!
(अब बताओ, तुम्हें यह मजेदार कहानी कैसी लगी? )