उत्तराखंड की पावन भूमि न केवल सुंदर पर्वतीय दृश्यों से भरपूर है, बल्कि यह आस्था और आध्यात्मिकता का भी केंद्र है। यहां कई चमत्कारी मंदिर स्थित हैं, जिनमें से एक है कोटगाड़ी देवी मंदिर। यह मंदिर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के पांखू में स्थित है और इसे न्याय की देवी के रूप में पूजा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त न्याय की गुहार लेकर देवी के दरबार में आता है, उसे अवश्य न्याय मिलता है। इस मंदिर से जुड़ी कई कहानियां और चमत्कारी घटनाएं इसे और भी रहस्यमय और आस्था से भरपूर बनाती हैं।
मंदिर का भौगोलिक और ऐतिहासिक विवरण
मंदिर की लोकेशन और प्राकृतिक सुंदरता
कोटगाड़ी देवी मंदिर, पिथौरागढ़ जिले के पांखू गांव में स्थित है। यह बेरीनाग और डीडीहाट के बीच, थल के पुल के पास पूर्वी रामगंगा नदी के तट पर स्थित है। मंदिर समुद्र तल से 2000 मीटर की ऊंचाई पर है।
चारों ओर हरे-भरे जंगल, ऊंचे-ऊंचे देवदार और चीड़ के पेड़ इस मंदिर की पवित्रता को और बढ़ाते हैं। यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य भी मन को मोह लेने वाला होता है।
मंदिर का इतिहास और स्थापना
इस मंदिर का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। मान्यता है कि चंद राजाओं के शासनकाल में इस मंदिर की स्थापना हुई थी।
कहानी यह है कि स्थानीय ग्रामीणों को स्वप्न में देवी के दर्शन हुए और उन्होंने इस स्थान पर खुदाई की। खुदाई के दौरान देवी की एक दिव्य मूर्ति मिली, जिसे मंदिर में स्थापित कर दिया गया। तब से यह स्थान न्याय और भक्ति का केंद्र बन गया।
कोटगाड़ी देवी मंदिर की विशेषताएँ
1. देवी का स्वरूप और मूर्ति
मंदिर में कोटगाड़ी देवी की मूर्ति स्थापित है, जो वैष्णवी रूप में पूजी जाती हैं। देवी की मूर्ति में योनि चिह्न उकेरा हुआ है, जिसे हमेशा ढंककर रखा जाता है। इसे गुप्त और दिव्य शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
2. बागादेव भाइयों का मंदिर
कोटगाड़ी देवी के साथ बागादेव नामक दो भाइयों—सूरजमल और छुरमल—का मंदिर भी स्थित है। भक्त यहां आकर इनकी भी पूजा करते हैं।
3. हवन कुंड और धूनी
मंदिर परिसर में एक हवन कुंड और धूनी (अग्नि स्थल) भी है, जहां प्रतिदिन हवन और विशेष पूजा की जाती है। भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने के लिए हवन सामग्री अर्पित करते हैं।
4. जल की पवित्र धारा
मंदिर परिसर से एक पवित्र जलधारा बहती है, जिसे चमत्कारी माना जाता है। मान्यता है कि इस जल का सेवन करने से रोग दूर हो जाते हैं और मानसिक शांति मिलती है।

न्याय की देवी: कोटगाड़ी माता का न्याय विधान
कैसे देती हैं देवी न्याय?
कोटगाड़ी देवी को “न्याय की देवी” कहा जाता है। भक्त अपनी शिकायतें और समस्याएं देवी के दरबार में प्रस्तुत करते हैं।
पहले के समय में – लोग मंदिर आकर देवी से न्याय की गुहार लगाते थे। यदि कोई झूठा आरोप लगाता था, तो उसे स्वयं दंड भुगतना पड़ता था।
अब के समय में – भक्त पेपर पर लिखकर अपनी अर्ज़ी देवी को समर्पित करते हैं।
पीढ़ियों तक न्याय – ऐसा माना जाता है कि अगर किसी के पूर्वज के साथ अन्याय हुआ हो, तो देवी उनकी संतान को भी न्याय दिलाती हैं।
कुछ चमत्कारी घटनाएँ
चोरी का खुलासा: एक व्यापारी का सामान चोरी हो गया था। उसने देवी से न्याय की प्रार्थना की। कुछ ही दिनों में चोर ने खुद आकर अपराध स्वीकार कर लिया और व्यापारी को उसका सामान मिल गया।
झूठे आरोप से मुक्ति: एक व्यक्ति पर झूठा आरोप लगाया गया था। उसने देवी से प्रार्थना की, कुछ समय बाद सारे साक्ष्य उसके पक्ष में आने लगे और उसे न्याय मिल गया।
चमत्कारी जल: कई भक्तों का मानना है कि मंदिर की जलधारा में असाध्य रोगों को ठीक करने की शक्ति है।
कोटगाड़ी देवी मंदिर के प्रमुख उत्सव और मेले
हर साल तीन बड़े मेले इस मंदिर में आयोजित किए जाते हैं:
- चैत्र मास की अष्टमी
- अश्विन मास की अष्टमी
- भादों मास की ऋषि पंचमी
इन अवसरों पर हजारों भक्त मंदिर में एकत्र होते हैं। भजन-कीर्तन, हवन-पूजन और विशाल भंडारा आयोजित किया जाता है।
कैसे पहुंचे?
सड़क मार्ग
- बेरीनाग और डीडीहाट के बीच थल का पुल पार कर मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
- मंदिर मुख्य सड़क से 200 मीटर ऊपर स्थित है, जहां पैदल जाना पड़ता है।
रेल मार्ग
निकटतम रेलवे स्टेशन – काठगोदाम (200 किमी दूर)
हवाई मार्ग
निकटतम हवाई अड्डा – पंतनगर एयरपोर्ट (250 किमी दूर)
निष्कर्ष
कोटगाड़ी देवी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि न्याय और आस्था का प्रतीक है। यहां आकर भक्त मानसिक शांति, समस्याओं का समाधान और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
अगर आप कभी उत्तराखंड की यात्रा करें, तो कोटगाड़ी देवी मंदिर के दर्शन अवश्य करें और देवी के चमत्कारी आशीर्वाद का अनुभव लें।