जो होता है अच्छे के लिए होता है – एक Sachi Kahani Jo Hota Hai Ache Ke Liye Hota Hai

जो होता है अच्छे के लिए होता है – एक Sachi Kahani Jo Hota Hai Ache Ke Liye Hota Hai

jo hota hai ache ke liye hota hai

एक सच्ची कहानी, बस नाम और जगह बदली गई है।

Honi को कोई टाल नहीं सकता और जो होता है, वो शायद किसी अच्छे के लिए ही होता है। ये कहानी भी कुछ ऐसी ही है। एक महानगर के एक दंपती के घर की, जिसे मेरे एक दोस्त ने मुझे सुनाया — और ये घटना पूरी तरह सच्ची है।

आजकल गाँवों और छोटे शहरों से लोग नौकरी की तलाश में दिल्ली जैसे बड़े शहरों की ओर निकलते हैं। किसी को 10 हज़ार की नौकरी में भी गुज़ारा करना पड़ता है, तो कोई लाखों कमा रहा होता है। ऐसे में भीड़ भी खूब बढ़ गई है।

बात है श्याम सिंह की। श्याम एक सीधा-सादा और ईमानदार इंसान था। उसने अपना पूरा जीवन गाँव में ही बिताया। लेकिन जब उसके बच्चे बड़े होने लगे, पढ़ाई का समय आया, तो घरवालों — माँ-बाप और पत्नी — ने उसे शहर जाकर नौकरी करने के लिए कहा।

श्याम कई बार बात को टालता रहा, मगर आखिरकार उसे गाँव छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। उसने अपने बचपन के दोस्त को फोन किया और कहा – “भाई, अब मैं भी तेरे पास आ रहा हूँ, कोई नौकरी दिला दे।”

कुछ दिन बाद दोस्त का फोन आया – “तेरे लिए एक काम मिल गया है। 15,000 रुपये तनख्वाह मिलेगी। काम होगा – एक घर में खाना बनाना और थोड़ा-बहुत घरेलू काम।”

श्याम को ये काम आता था, तो वो राज़ी हो गया। दिल में थोड़ा दुख भी था, क्योंकि पहली बार अपने परिवार से दूर जा रहा था, लेकिन मजबूरी थी। गाँववालों से विदा लेकर दिल्ली रवाना हो गया।

जब वो उस घर पहुँचा जहाँ उसे काम करना था, तो वहाँ पति-पत्नी और उनके बच्चे रहते थे। बच्चों ने श्याम का हुलिया देखकर उसका मज़ाक उड़ाया, लेकिन दंपती ने डांटा और श्याम को अपना काम समझाया।

धीरे-धीरे श्याम ने खुद को काम में ढाल लिया। दो-चार साल में श्याम के परिवार की स्थिति सुधर गई, बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ने लगे और उसकी तनख्वाह भी 25,000 हो गई। वो उस घर का एक सदस्य जैसा हो गया।

श्याम ईमानदार था, इसलिए सभी उससे खुश रहते।

एक दिन जब दंपती ने बच्चों के साथ विदेश छुट्टियों पर जाने का प्लान बनाया, तो उन्होंने श्याम के लिए भी एक टिकट ले लिया। श्याम बहुत खुश हुआ, क्योंकि ये उसके लिए सपना जैसा था — हवाई जहाज़ में बैठना और विदेश जाना।

गाँव में सबको खबर हुई कि श्याम विदेश जा रहा है। जब जाने का दिन आया, सब सामान गाड़ी में रखा गया और श्याम ने भी अपना सामान रखा। लेकिन तभी दंपती का बेटा ज़िद पर अड़ गया – “श्याम हमारे साथ नहीं जाएगा।”

काफी समझाने के बाद भी बच्चा नहीं माना, और पिता ने गुस्से में उसे थप्पड़ भी मारा। फिर भी बच्चा ज़िद पर अड़ा रहा।

श्याम ने स्थिति को समझते हुए खुद पीछे हटने का फैसला लिया और बोला – “आप लोग जाइए, मैं गाँव चला जाऊँगा।”

दंपती ने श्याम को कुछ पैसे दिए और ट्रेन की टिकट बुक करवा दी।

श्याम ट्रेन पकड़कर गाँव लौट गया।

उधर दंपती का परिवार जैसे ही विदेश रवाना हुआ, मौसम खराब होने की वजह से उनका प्लेन क्रैश हो गया। सभी की दुखद मृत्यु हो गई।

जब ये खबर श्याम को गाँव में मिली, वो टूट गया। उसे वो बच्चा याद आया, जिसने जाने नहीं दिया था। और फिर श्याम ने एक बात कही —

“जो होता है, अच्छे के लिए होता है, और होनी को कोई टाल नहीं सकता।”

श्याम ने अब गाँव में ही रहने का फैसला लिया। उसके बच्चे अब अच्छी नौकरी में हैं और श्याम अपने गाँव की ज़िंदगी में ही संतुष्ट है।

सीख:
कभी-कभी किस्मत बुरी होती है, लेकिन वही किस्मत हमें सही रास्ते पर भी ले जाती है। जो दिखता है, वही सब कुछ नहीं होता। कुछ बातें ऊपरवाला हमारे भले के लिए करता है — बस हमें समझने में समय लगता है।

Deepak Sundriyal

मेरा नाम दीपक सुन्द्रियाल है। मैं अल्मोड़ा के एक छोटे से गाँव से आता हूँ। अपनी पढ़ाई मैंने अपने गाँव से ही पूरी की है। अब मैं दिल्ली की भीड़भाड़ में अपने सपनों को पूरा करने में लगा हूँ। लेकिन आज भी मेरी कहानियों में मेरा पहाड़, मेरी पहाड़ी ज़िंदगी और वहाँ की सादगी बसी हुई है। मैं आज भी हर दिन अपनी लिखी पंक्तियों के ज़रिए अपने गाँव को जीता हूँ।
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