सच्ची दोस्ती की पहचान-Hindi Moral Story

सच्ची दोस्ती की पहचान-Hindi Moral Story

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रवि और समीर अच्छे दोस्त थे। वे हमेशा साथ खेलते, साथ पढ़ते और स्कूल में हर काम एक साथ करते थे। लेकिन समीर थोड़ा शरारती था, जबकि रवि ईमानदार और समझदार था।

एक दिन की शरारत

एक दिन स्कूल में समीर ने अपने शिक्षक की टेबल से एक महंगा पेन चुरा लिया। उसे लगा कि यह सिर्फ एक छोटी-सी शरारत है और किसी को पता नहीं चलेगा। लेकिन जब शिक्षक ने देखा कि उनका पेन गायब है, तो उन्होंने पूरी कक्षा से पूछा, “क्या किसी ने मेरा पेन देखा है?”

सभी बच्चे चुप थे, लेकिन समीर घबराया हुआ था। वह रवि के पास गया और धीरे से बोला, “रवि, मुझे मदद चाहिए। मैंने पेन ले लिया है, लेकिन अगर मैं पकड़ा गया, तो मेरी बहुत डांट पड़ेगी। तुम कह दो कि मैंने कुछ नहीं किया, प्लीज़!”

ईमानदारी की परीक्षा

रवि मुश्किल में पड़ गया। वह समीर का अच्छा दोस्त था, लेकिन उसे पता था कि झूठ बोलना गलत है। अगर उसने समीर का साथ दिया, तो वह भी गलती में शामिल होगा। लेकिन अगर उसने सच बता दिया, तो समीर नाराज हो सकता है।

टीचर ने फिर से पूछा, “क्या किसी को इस बारे में कुछ पता है?”

रवि ने गहरी सांस ली और धीरे से कहा, “सर, मुझे पता है कि पेन कहाँ है।”

पूरी क्लास चौंक गई। समीर भी डर गया। रवि ने बताया कि समीर ने गलती से पेन ले लिया था, लेकिन अब वह इसे वापस करना चाहता है।

समीर को मिली सीख

sachi dosti ki kahan

शिक्षक ने समीर को डांटा नहीं, बल्कि प्यार से समझाया, “बेटा, गलती हर कोई करता है, लेकिन सच्चा इंसान वही होता है जो उसे स्वीकार करता है और दोबारा ना करने का वादा करता है।”

समीर की आँखों में आँसू आ गए। उसने माफी मांगी और पेन वापस कर दिया। बाद में, उसने रवि से कहा, “तुम्हें झूठ बोलने को नहीं कहना चाहिए था। तुमने मुझे सही रास्ता दिखाया। अब मैं कभी गलत काम नहीं करूँगा।”

कहानी से सीख:

सच्चा दोस्त वही होता है जो सही का साथ दे, ना कि गलत का।
हमें कभी भी झूठ बोलकर किसी की मदद नहीं करनी चाहिए।
गलती करना बड़ी बात नहीं, उसे सुधारना सबसे जरूरी है।

क्या आप भी अपने दोस्तों के लिए हमेशा सच का साथ देंगे?

Deepak Sundriyal

मेरा नाम दीपक सुन्द्रियाल है। मैं अल्मोड़ा के एक छोटे से गाँव से आता हूँ। अपनी पढ़ाई मैंने अपने गाँव से ही पूरी की है। अब मैं दिल्ली की भीड़भाड़ में अपने सपनों को पूरा करने में लगा हूँ। लेकिन आज भी मेरी कहानियों में मेरा पहाड़, मेरी पहाड़ी ज़िंदगी और वहाँ की सादगी बसी हुई है। मैं आज भी हर दिन अपनी लिखी पंक्तियों के ज़रिए अपने गाँव को जीता हूँ।
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